चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक प्रसिद्ध नेता है।हेमंत सोरेन के इस्तीफा के बाद झारखंड के सातवां मुख्यमंत्री बन गए हैं। जब हेमंत सोरेन आरोपी से मुक्त होकर बाहर आए तो फिर उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। नाराज चंपई सोरेन अब ए हेमंत सोरेन के विपक्ष में चुनाव लड़ रहे हैं।
चंपई सोरेन का जन्म 1 नवंबर 1956 को झारखंड में हुआ था। चंपई सोरेन एक किसान के बेटे हैं जो किसान आंदोलन से जिनको पहचान मिली। चंपई सोरेन एक ऐसा सीधा-साधा नेता है जो देखने में बिल्कुल भोला भाला लगते हैं। पैरों में चप्पल ढीले ढाले कपड़े और चेहरे पर मुस्कान चौपाई की सादगी बयां करती है। चंपई सोरेन शिबू सोरेन के परिवार के बेहद गरीबी माने जाते हैं।
चंपई सोरेन झारखंड लिबरेशन फ्रंट बनाया।
चंपई सोरेन ने महाजनी प्रथा और ठेकेदारी के खिलाफ आंदोलन चलाया। इसके लिए झारखंड लिबरेशन फ्रंट का गठन किया। फ्रंट के सदस्य हमेशा हाथों में तीर कमान लेकर वर्दी पहन कर चलते थे। इसके माध्यम से उन्होंने कई बड़ी और नामी कंपनियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बड़ी संख्या में मजदूरों और शोषितों को न्याय दिलाया।
पिता के साथ खेती की, आंदोलन से पहचान मिली।
चंपई सोरेन का जन्म में झारखंड के सरायकेला सरसावा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में हुआ था। पिता सिमल सोरेन किसान थे जबकि मां माधव गृहिणी थी। चार भाई बहनों में चौपाई सबसे बड़े हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल रकम हाई स्कूल बिष्टपुर झारखंड से दसवीं की पढ़ाई की है। चंपई पढ़ाई के साथ है खेती में पिता का हाथ है बताते थे। किसी के साथ है बिहार से झारखंड राज्य को अलग करने के लिए आंदोलन शुरू हो गया। शिबू सोरेन आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। ऐसे में चंपई भी उनके साथ है आंदोलन में कूद पड़े और जल्द ही झारखंड टाइगर के नाम से मशहूर हो गए। चंपई छह बाहर के विधायक हैं।
अपने पहले चुनाव में ही संसद के पत्नी को हराया ।
1965 में सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव मैं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली जीते दर्ज की। यह जीते सबको चौंकाने वाली रही क्योंकि इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा से श्री भूमि के तत्कालीन सांसद कृष्णा मंडी का पत्नी मूर्ति मारी को हराया था। उसे समय कृष्ण का क्षेत्र में दबदबा होता था।
मजदूर आंदोलन से बने कोल्हान टाइगर:
2016 में कोल्हान स्थित टाटा स्टील में 1990 से अस्थाई स्वामी के रूप में काम कर रहे मजदूरों ने अस्थाई कमेटी मांग सुनकर दी। चंपई ने मजदूरों के साथ है अनिश्चितकालीन ग्रेट जाम आंदोलन किया। इसके बाद लगभग 1700 ठेका मजदूरों को कंपनी में स्थाई प्रतिनिधि दी गई।
मंच पर भी पैर छूते हैं हेमंत और उनकी पत्नी।
पार्टी में चंपई के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भी कई बार हेमंत सोरेन सार्वजनिक मंच पर उनके पैर छूते हैं। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन जब पहली बार विधायक दल की बैठक में पहुंची तब सबसे पहले उन्होंने चंपई सोरेन का है कि पैर छुए। फिर विधायकों के साथ बैठी।
चंपई सोरेन ली झारखंड के बारहवां मुख्यमंत्री की शपथ ली।
कोल्हान में टाइगर के नाम से मशहूर चौपाई सूर्य ने 2 फरवरी 2024 से को झारखंड के 12वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और राजद के सत्यानंद भोक्ता भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।
शपथ लेने से पहले चंपई सोरेन मोराबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर पहुंचे। बोले शपथ से पहले मैं उनका आशीर्वाद लेने आया हूं। शपथ के बाद उन्होंने कैबिनेट की बैठक की। फिर राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होने पाकुड़ चले गए।
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